घर का नक्शा वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिए ?

घर का नक्शा वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिए ?

घर का नक्शा वास्तु शास्त्र के अनुसार कैसा होना चाहिए ?

वास्तु शास्त्र सहयोगी भारतीय ग्रंथ है जो पिछले समय से भारत में अपना महत्व बनायें हुँए है। वास्तु शास्त्र एक ऐसी विधा हो सकती है जो दिशाओं के चरित्र के अनुरूप घर का नक्शा बनाने का सुझाव देती है। इसलिए आपके घर का प्रत्येक कोना दिशाओं के लिए सहायक है, इसलिए प्रत्येक कोने में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
लेकिन एक बार जब घर वास्तु के अनुरूप नहीं बनाया जाता है, तो घर की दुनिया सकारात्मकता की दिशा में अनुकूल नहीं होगी। जो परिवार और आवासीय की सुख-समृद्धि के भीतर बाधा बनाना शुरू कर देता है।
ऐसे में, यदि घर को बनाते समय और प्रत्येक दिशा को ध्यान में रखना चाहिए, तो यह बेहतर हो सकता है, कि घर का हर कोना कमरा दिशा को मुख्य रख़ कर बनाया जाए। आइए वास्तु के अनुरूप, घर का नक्शा कैसे बनाते है जानें।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा कैसा होना चाहिए ?

वास्तु में नौ दिशाएँ हैं, अर्थात् आठ दिशाओं को छोड़कर केंद्र दिशा। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर या कार्यस्थल के मध्य में यह स्थान व्यक्ति के जीवनकाल पर गहरा प्रभाव डालता है, इस प्रकार केंद्रीय स्थान को विशेष महत्व दिया जाता है।
घर की दक्षिण दिशा कैरियर से जुड़ी होती है और दक्षिण-पश्चिम दिशा व्यक्ति की क्षमता, बुद्धिमत्ता और जानकारी से संबंधित होती है। पश्चिम दिशा एक व्यक्ति के पारिवारिक संबंधों से संबंधित है।
उत्तर दिशा सामाजिक सम्मान से संबंधित है और उत्तर-पश्चिम दिशा धन और समृद्धि से संबंधित है। जबकि उत्तर-पूर्व दिशा प्यार और घरेलू साथी के बीच संबंध को प्रभावित करती है।
घर के किनारे बच्चों के साथ जुड़ा हुआ है। यह दिशा उनके विकास, सोच और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। जबकि दक्षिण-पूर्व दिशा उन निकटतम लोगों से जुड़ी है जो प्रत्येक परिदृश्य में आपकी सहायता करने में सक्षम हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का नक्शा कैसा होना चाहिए ?

निर्देशों के अनुसार घर का नक्शा बनाएं

घर का मुख्य द्वार - घर के सबसे प्रवेश द्वार को किनारे पर होना चाहिए। एक बार ऐसा हो जाने पर, समृद्धि का मार्ग खुल जाता है, जबकि दक्षिण दिशा में घर का सबसे दरवाजा मुश्किलों को बढ़ाएगा। इस संबंध में, आपको इस संबंध में वास्तु के अनुरूप कार्रवाई करनी चाहिए। घर के सबसे प्रवेश द्वार पर कोई बिजली का खंभा या पेड़ नहीं होना चाहिए। इन लोगों को इंटरसेप्टर माना जाता है। इस टी से अलग घर का सबसे दरवाजा नहीं होना चाहिए। घर के आगे तिराहा या चौराहा नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे नकारात्मकता बढ़ती है।
पूजा घर - पूजा घर को उत्तर-पूर्व कोने के भीतर बनाना समझदारी है।
देवताओं की दिशाएं - घर के निर्माण के भीतर अग्नि, पानी और वायु देवता विशेष ध्यान देना चाहते हैं। यह उल्लेख करने के लिए कि आग से जुड़े काम फायरप्लेस के स्थान पर और पानी के सथान पर पानी से जुड़े कामों को होना चाहिए। उनकी दिशा को उलटने के परिदृश्य के भीतर भी बहुत परेशानियाँ हो सकती हैं।
रसोई के लिए सही जगह - रसोई का कमरा अग्नि देवता से जूड़ा होता है और इसके अलावा कोण को झुका हुआ आग्नेय कोण के दक्षिण-पूर्व दिशा में है। इसलिए इस दिशा में रसोई का कमरा बनाना चाहिए।
शौचालय के लिए सही जगह - घर के भीतर बाथरूम दक्षिण-पश्चिम कोण में बनाया जाना चाहिए।
पानी के टैंक का स्थान - घर के भीतर संग्रह पानी का उद्देश्य उत्तर-पूर्व कोण है, जो कि उत्तर-पूर्व दिशा के भीतर है। इसलिए, पानी को स्टोर करने का स्थान इस दिशा में बनाया जाना चाहिए।
घर के किसी भी कोने में कचरा जमा होने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी। इसका असर परिवार की शांति और समृद्धि पर पड़ता है।
घर के हर कोने का अपना विशेष महत्व होता है और उनसे जुड़ी दिशाओं का भी विशेष महत्व होता है। इसलिए, यदि आप चाहते हैं कि आप परिवार के साथ जुड़े प्रत्येक स्थान में खुश और समृद्ध रहें और अपने कैरियर को बेहतर बनाएं, तो वास्तु के अनुरूप घर का नक्शा बनाएं।
आप सबसे अधिक प्रभावी रूप से प्राप्त कर सकते हैं और निर्देशों के अनुरूप उन्हें सही करके परिणाम भी प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए घर की नींव डालने से पहले वास्तु शास्त्र की सहायता लें और अपने परिवार को आगे नया घर प्रदान करें और सुख शांति और खुशहाल जीवन प्रदान करें ।
यह उम्मीद की जाती है कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगीं कि घर का नक्शा वास्तु शास्त्र के अनुरूप होना चाहिए, ताकि यह आपके लिए उपयोगी साबित हो सके।

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