ब्लड ग्रुप की खोज किसने की थी ?
दोसतों आपका हमारी वेबसाइट पर सवागत है, दोसतों आज हम एक नयें विषय के बारे में बात करेगें। दोसतों जैसा कि हम सब जानते ही है कि हर व्यक्ति का खून अलग होता है और हर तरह के खून के लिए अलग अलग ब्लड ग्रुप होतें है। दोसतों अब सवाल यह है कि इन ब्लड ग्रुप की खोज किसने की होगी। तो चलिए जानते है :-
खून हमारे जीवन के लिए बहुँत महत्वपूर्ण होता है , अगर हमारे शरीर में इसकी कमी हो जायें तो हमारी मौत भी हो सकती है। इस लिए आपको अपने ब्लड के बारे में जानकारी होनी बहुँत जरूरी है, जिस से आप किसी खतरें के समय किसी व्यक्ति से खून को लेकर अपनी जान बचा सकें और किसी को खून देकर उसकी जान बचा सको। आम तौर पर ब्लड ग्रुप चार तरह के हो सकते है वो कुँछ इस तरह होते है - A, B, AB, O . दोसतों यह ब्लड ग्रुप की किसमें है। इन ब्लड ग्रुप में दो एंटीजन होते हैं और दो एंटीबॉडी होतें है। इनके कारण ही हर व्यक्ति का खून अलग होता है। ब्लड ग्रुप अनुवांशिक होता है जोकि हमें अपने माता-पिता से मिलता है। हर व्यक्ति का ब्लड ग्रुप जीवन भर एक ही होता है। यह बदला नहीं जा सकता।दोसतों हर ब्लड ग्रुप दो तरह के होतें है Negative और Positive वो कुँछ इस तरह है -Positive | Negative |
---|---|
A+ | A- |
B+ | B- |
AB+ | AB- |
O+ | O- |
ब्लड ग्रुप की खोज
ब्लड ग्रुप की खोज कार्ल लैंडस्टीनर (Karl Landsteiner) ने 1901 में की थी जोकि एक रोग विज्ञानी थे। सबसे पहले उनहोंने ब्लड ग्रुप की किसमों के बारे में बताया था। कार्ल लैंडस्टीनर के समय में खून के बारे में कुँछ खास जानकारी नहीं थी। उस समय एक व्यक्ति के खून को दूसरे के शरीर में पहुँचाने के बारे में भी कोई नही जानता था। जिस कारण लोगों को गलत खून देने के कारण उनको कई तरह की बिमारीयाँ भी लग जाती थी और कभी-कभी उनकी मौत भी हो जाती थी।पर उस समय इस बात का पता लगाया जा सकता था कि खून देने वाले व्यक्ति का खून पाने वाले व्यक्ति के लिए सहीं है या नहीं। इसका बात पता हेमागल्युटिनेशन के कारण होने वाली क्रॉस मैचिंग से लगाया जाता था जोकि खून देने वाले के खून की कोशिकाओं और खून पाने वाले के सेरम या प्लाजमा के मिलान कराने पर होता था।
इस तरह के परिणामों को आधार बनाकर 1901 में लैंडस्टीनर ने इस बात का पता लगाया की यह सब खून के खून सीरम के सम्पर्क में आने पर होता है। इस तरह उनको यह पता लगा कि यह सब हर व्यक्ति का खून दूसरे से अलग होता है और इसी कारण एक खून देने वाले और खून प्राप्त करने वाले की कोशिकाओं में अंतर दिखाई देता है।
इसी खोज को कार्ल लैंडस्टीनर ने आगे बढ़ाते हुँए बहुँत से लोगों के खून का सैंपल लिया और एक साल की सखत मिहनत के बाद यह पता लगाया कि खून तीन प्रकार का होता है और इनको उनहोनें A, B, C नाम दिया। कुँछ समय के बाद लैंडस्टीनर ने C group का नाम O रख़ दिया।
लैंडस्टीनर की इस महान खोज के एक साल बाद उनके दो साथियों एल्फ्रैड फॉन डिकास्टेलो और एड्रियानो स्टरली ने इस खोज को आगे बढ़ाया और उनहोनें मिल कर एक नयें ब्लड ग्रुप का भी पता लगाया जिस को ‘AB’ नाम दिया गया।
कार्ल लैंडस्टीनर द्वारा 1907 में ब्लड ग्रुप की अलग अलग किसमों को खोजने के 4 सालों बाद सबसे पहला आधुनिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन न्यूयॉर्क में सेनाई हॉस्पिटल में किया गया था। उसके बाद उसी ब्लड ग्रुप के सिद्धांत को सभी देशों ने अपनाया जिस को आज भी माना जाता है।
दोसतों यह जानकारी आपको कैसी लगी और अगर आपको किसी भी तरह की जानकारी चाहिए तो मुँझे Comments में जरूर बतायें और हमारी वेबसाइट को Subscribe जरूर करें। धन्यबाद।
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