टेस्ट ट्यूब बेबी क्या है ?
दोसतों टेस्ट ट्यूब बेबी इस तकनीक का नाम IVF है। इस तकनीक में एक औरत के गर्भाशय के बाहर डाकटर अपनी लैब में बच्चे का जन्म कराया जाता है। इस तकनीक में औरत के अंडाशय से अंण्डों को बाहर निकाल कर मर्द के सपर्म्स के साथ मिलाकर निषेचित किया जाता है।
इस प्रक्रिया से बने भ्रूण को औरत के गर्भाशय में डाला जाता है। दोसतो इस तकनीक का इसतेमाल उस समय में किया जाता है जब किसी मर्द में स्पर्म्स की मात्रा बहुँत कम होती है और बहुँत कोशिस के बाद भी औरत गर्भ धारन नहीं कर पाती है। इस सथिति में IVF तकनीक का इसतेमाल किया जाता है।
साधारण रूप में तो औरतों के अंडाशय में एक महीने में एक ही अंण्डा बनता है लेकन इस तकनीक मे औरतों को ऐसी दवाई दी जाती है जिस से औरत के अंडाशय में एक ही महीने में एक से कई ज्यादा अंडे बनने लग जाते है ऐसा इल लिए किया जाता है कीयोंकि इस से एम्ब्रयो बनने की सम्भावना बढ़ जाती है।
दोसतों इस प्रक्रिया के बाद औरत को बेहोश कर दिया जाता है और अल्ट्रासाउंड इमेज के साथ औरते के योन मार्ग से एक पतली सीरिंज को महिला के अंडाशय में डाला जाता है जिस से महिला के अंडाशय से अण्डों को बाहर निकाला जा सके।
अब जब कि अण्डों को महिला के शरीर से बाहर निकाल लिया गया है तो अब लैब में पुरुष के वीर्य से स्वस्थ शुक्राणु अलग कर लिए जाता हैं और उनका निषेचन महिला के अण्डों से करवाया जाता है। अब इसको फर्टिलाइजेशन के लिए इन्क्यूबेटर में रखा जाता है। इस इन्क्यूबेटर में बनने वाले भ्रूण पर पूरी तरह से नज़र रखी जाती है।
यह 2 से 3 दिन के बाद निषेचित अंडा 6 से 8 सेल के भ्रूण में बदल जाता है। इन में से कुँछ अच्छी क्वालिटी के 2-3 भ्रूण को ट्रांसप्लांट के लिए चुन कर रख़ लिया जाता है और इन सब में से भी 1 या 2 स्वस्थ भ्रूण चुँन लिए जाते हैं। अब इन स्वस्थ भ्रूणों को डॉक्टर द्वारा औरत के गर्भाशय में एक पतली नली की मदद से पहुंचा दिया जाता है।
इसके बाद सारी प्रक्रिया महिला के गर्भ में साधारण रूप से होती है यानी कि प्रत्यारोपित भ्रूण नेचुरल एम्ब्रयो की तरह गर्भ में विकसित होने लगता है।
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