तारे टिमटिमाते क्यों है ?
क्या आप ने इस बारे में कभी सोचा है कि हमारा सूरज भी एक तारा है पर वो हमेशा चमकता रहता है तो बाकी के छोटे तारे हमेशा की बजाए कुँछ-कुँछ देर के लिए क्यों चमकतें है। दोसतों असल में तारे हमेशा ही चमकते रहते है। तो बात यह आती है कि हमे टिमटिमाते क्यो दिखाई देते है ? असल में तारों के प्रकाश को हमारी आखों तक पहुँचने में बहुँत लंबा सफर तय करना पड़ता है। इस सफ़र के बीच में उस को बहुँत से अवरोधों को पार करना पड़ता है, जैसे कि हवा तारों के प्रकाश को रोक देती है और जिस से वो हमे कभी दिखाई देते है और कभी नहीं। जिस के कारण तारें हमें टिमटिमाते नज़र आतें है।
दोसतों आसमान में बहुँत से तारें है और कुँछ तारें समूह में रह कर आसमान में बहुँत सूँन्दर आक्रितीयां बनाते है। इन तारों को तारामंडल कहते है। दोसतों पूरे आस्मान को 89 तारामंडलों में बाटा गया है।
दोसतों अब मैं आपको एक बहुँत कमाल की बात बताता हूँ तारो को देख़ने पर लगता है कि सभी तारें एक ही रंग के है,पर ऐसा नहीं है। अगर आप ताकों को टेलीसकोप से देखोंगें तो आपको पता चल जाएगा कि सभी तारें एक रंग के कभी नहीं होतें। तो चलिए अब मैं आपको यह बताता हूँ कि तारे एक ही रंग के क्यों नही हो सकते वो इस लिए क्योकि सभी तारों का तापमान अलग-अलग होता है। अब आप यह सोंच रहे होगें कि अगर ऐसा है तो तारें हमें एक ही रंग के क्यों नज़र आतें है ? ऐसा इस लिए क्योंकि तारें हम से बहुँत दूर होतें है और उन का प्रकाश हामारी आख़ो तक पूरी तरह से नहीं पहुँच पाता है।
दोसतों तारों के रंग को समझने के लिए ये उदाहरण देखिये – जब किसी लोहे की छड़ी को गर्म किया जाता है तो वो छड़ी लाल रंग की हो जाती है, इससे ज्यादा गर्म करने पर पीली रंग की हो जाती है और ज्यादा गर्म करने पर सफेद रंग की हो जाती है। इसी लिए तापमान बहुत ज्यादा होने के कारण सफ़ेद रंग नीले रंग में परिवर्तित हो जाता है। इसी लिए तारों का रंग हमे कभी लाल, पीला और कभी सफेद या नीले होने का कारण भी उनका तापमान ही होता है।
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