डार्क एनर्जी क्या है ?
दोसतों डार्क एनर्जी एक ऐसा बल है जो आज भी रहस्य ही है पर ये बल इतना प्रभावशाली होंता है कि इसके प्रभाव से ब्रह्माण्ड के पिंड एक दूसरे से बहुत दूर होते जा रहे हैं। यहँ काल्पनिक बल पूरे ब्रह्माण्ड में फैला हुआ है जो गुरुत्वाकर्षण के विपरीत (उलट) प्रभाव के समान होता है।
डार्क एनर्जी से जुड़ी जानकारी 1998 में सामने आयी थी, जब आकाशगंगा में विस्फोट की प्रक्रिया से गुजरने वाले सितारों पर जाँच किए। इस जाँच में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने पाया कि ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति पहले की तुलना में बढ़ गयी है। इससे पहले माना जाता था कि ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति धीरे-धीरे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण कम होती जा रही है।
सुपरनोवा का सर्वे ये बताता है कि ब्रह्माण्ड का विस्तार 5 अरब साल पहले शुरू चुँका था। उसके बाद डार्क एनर्जी के प्रभाव से ब्रह्माण्ड का विस्तार तेजी से होता जा रहा है जिसका नतीजा ये हो सकता है कि खरबों सालों के बाद हर आकाशीय पिंड एक दूसरे से तेजी से दूर होते जाएंगे और इंसान अकेला रह जाएगा क्योंकि डार्क एनर्जी सभी पिंडों को एक दूसरे से दूर ले जाती है।
एक अध्ययन से यह पता चला है कि ब्रह्माण्ड का निर्माण 74% डार्क एनर्जी से, 22% डार्क मैटर से और सिर्फ 4% साधारण पदार्थ से हुँआ है और सब से बड़ी हैरानी की बात ये है कि अभी तक हमें सिर्फ उस 4% के बारे में ही जानकारी मिली है। दोसतों डार्क एनर्जी का घनत्व काफी कम होता है, लगभग 10-29 g/cm³ और इसी लिए प्रयोगशाला में इसकी जांच करना लगभग असंभव होता है।
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