क्लोरोफिल क्या है?
आज हम सब क्लोरोफिल के बारे में जानेगें| कि क्लोरोफिल क्या होती है ? और इस का क्या काम होता है क्लोरोफिल एक प्रोटीनयुक्त जटिल रासायनिक यौगिक है जोकि पेड़ पोदों की हरे पत्तों में पाया जाता है|। पत्तों का रंग हरा इसी के कारण होता है। इसे फोटोसिंथेटिक पिगमेंट भी कहा जाता है क्योंकि ये प्रकाश संश्लेषण की प्रकियां के लिए बहुँत जरूरी होता है। क्लोरोफिल शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द से हुँयी है जिसमें chloros यानी हरा और phyllon यानी पत्ती होता है। इसी लिए इसको क्लोरोंफिल कहाँ जाता है।
हरे पौधों की कोशिकाओं में छोटी-छोटी संरचनाएं होती है। इन संरचनाओं को क्लोरोप्लास्ट कहा जाता है। इस क्लोरोप्लास्ट में ही क्लोरोफिल मौजूद होता है। क्लोरोफिल कार्बन, मैग्नेशियम , नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बना होता है और सभी यह हरे पौधों में पाया जाता है।
पेड़ और पोधों की हरी पत्तीयां प्रकाश संश्लेषण की प्रकियां में बहुँत अहिम भूमिका निभाती है। सजीव कोशिकाओं द्वारा प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलने की क्रिया प्रकाश संश्लेषण या फोटो सिंथेसिस कहलाती है।
प्रकाश संश्लेषण
इस क्रिया में पौधे अपने हरे रंग वाली पत्ती द्वारा सूर्य के प्रकाश की मोजूदगीं में वायु से कार्बन डाई ऑक्साइड और धरती से पानी को लेकर कार्बोहाइड्रेट्स जैसे पदार्थ बनाती है और ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहाँ जाता है।इस प्रक्रिया में हरे पोधें ऑक्सीजन और ऊर्जा से भरपूर कार्बोहाइड्रेट्स जैसे सूक्रोज, ग्लूकोज, स्टार्च आदि का निर्माण होता है। इस क्रिया में जल, कार्बन डाई ऑक्साइड, सूर्य का प्रकाश और क्लोरोफिल प्रकाश संश्लेषण के लिए बहुँत महत्वपूर्ण होते हैं जिसमें से जल और कार्बन डाई ऑक्साइड फोटोसिंथेसिस का कच्चा माल कहाँ जा सकता हैं।
प्रकाश संश्लेषण का सूत्र – 6CO2 + 6H2O + light energy = C6H12O6 + 6O2
सब से पहले दो विज्ञानिकों Joseph Bienaimé Caventou और Pierre Joseph Pelletier ने सबसे पहले 1817 में क्लोरोफिल (C55H72O5N4Mg) को अलग किया और उसे क्लोरोफिल नाम दिया। क्लोरोफिल में मैग्नीशियम की मोजूदगीं की खोज 1906 में की गयी। उनके बाद जर्मन रसायनज्ञ Willstatter ने 1911 में इस को शुद्ध रूप में अलग किया और इसके अवयवों का अध्ययन किया था।
क्या आप जानते है कि क्लोरोफिल दो प्रकार के होते हैं- क्लोरोफिल-ए (क्लोरोफिल एल्फा) और क्लोरोफिल-बी (क्लोरोफिल बीटा)। ये दोनों त्तव ही 3:1 के अनुपात में पत्तों में पाए जाते हैं। क्लोरोफिल के साथ कैरोटीन और जैंथोफिल वर्णक भी पत्तों में मोजूद होतें हैं।
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