भारी जल (Heavy Water) के बारे में जानें: यह क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण?
भारी जल (Heavy Water), जिसे ड्यूटेरियम ऑक्साइड (D₂O) भी कहा जाता है, एक विशेष प्रकार का जल है जिसमें हाइड्रोजन के सामान्य समस्थानिक (प्रोटियम) के स्थान पर ड्यूटेरियम होता है। ड्यूटेरियम हाइड्रोजन का एक स्थिर समस्थानिक है, जिसके नाभिक में एक प्रोटॉन और एक न्यूट्रॉन होता है, जबकि सामान्य हाइड्रोजन में केवल एक प्रोटॉन होता है।
भारी जल की खोज और उत्पादन
भारी जल की खोज 1932 में वैज्ञानिक यूरे ने की थी। उन्होंने अपने सहयोगियों ब्राउन और डगेट के साथ मिलकर पांच चरणों में पूरी होने वाली प्रक्रिया से भारी जल बनाया। इस प्रक्रिया के अंत में प्राप्त शुद्ध भारी हाइड्रोजन को ऑक्सीजन के साथ जलाकर 100% भारी जल प्राप्त किया गया।
भारी जल के उपयोग
भारी जल का मुख्य उपयोग नाभिकीय रिएक्टरों में एक मंदक (मॉडरेटर) के रूप में होता है, जहां यह न्यूट्रॉनों की गति को धीमा करता है, जिससे नियंत्रित नाभिकीय प्रतिक्रिया संभव होती है।
भारी जल और साधारण जल में अंतर
साधारण जल (H₂O) 100°C पर उबलता है और 0°C पर जमता है, जबकि भारी जल 101.42°C पर उबलता है और 3.82°C पर जमता है। इसके अलावा, भारी जल का घनत्व साधारण जल से अधिक होता है, जिससे यह कुछ भौतिक गुणों में भिन्न होता है।
भारी जल के नुकसान
शुद्ध भारी जल में मछलियां जीवित नहीं रह सकतीं, क्योंकि यह उनके शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न करता है। इसके अलावा, भारी जल में पौधों का उगना भी संभव नहीं होता, जिससे यह जीवन के लिए विषाक्त साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
साधारण जल के बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं है, जबकि भारी जल जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, भारी जल का उपयोग विशेष परिस्थितियों में और सावधानीपूर्वक किया जाता है।
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