स्ट्रिंग थ्योरी क्या होतीं है ?
दोसतों कुँछ भौतिक विज्ञानी और स्ट्रिंग सिद्धांत के अनुसार, स्ट्रिंग एक नाजुक धागे के द्वारा लटका हुँआ है क्योंकि स्ट्रिंग यानि तंतु किसी भी प्रमाण्विक कण से भी छोटा होता है और इ लिए देख पाना और इसकी जाँच कर पाना संभव नहीं है। इस लिए अब यह सवाल उठता है कि क्या हम स्ट्रिंग थ्योरी की मदद द्वारा परीक्षण किया जा सकता है ? तो चलिए जानते है :-
दोसतों विज्ञान की यह खासियत है कि विज्ञान में हर थ्योरी के पूर्वानुमान को एक परीक्षण (जाँच) द्वारा ही उपयोगी और सहीं घोषित किया जाता है। दोसतों जो थ्योरी परीक्षण में सफल नहीं हो पाती है उस थ्योरी से सम्बंधित सिद्धांत ग़लत सिद्ध हो जाता है जबकि जो थ्योरी परीक्षण में सफल हो जाती है वह थ्योरी प्रमाणित हो जाती है।
दोसतों जब तक एक नए सिद्धांत को अच्छीं तरह से परीक्षणों के द्वारा परखा नहीं जाता, तब तक उस सिद्धांत को वैज्ञानिक नहीं माना जाता, तब तक वो सिद्धात दार्शनिक ही रहता है।
स्ट्रिंग थ्योरी के आधार पर गणितीय सिद्धांत कुछ धारणाओं की व्याख्या करने में सफल रही है पर फिर भी परीक्षणों के अभाव के कारण इस थ्योरी को वैज्ञानिक थ्योरी की मान्यता मिलना संभव नहीं हो सकता है।
स्ट्रिंग सिद्धांत को आलोचना का सामना भी करना पड़ा है और उनके आलोचकों के अनुसार, स्ट्रिंग थ्योरी “थ्योरी ऑफ एवरीथिंग” के रूप में सफल नहीं हो पायी है। इसके आलोचकों में ली स्मोलीन, पीटर वोइट, फिलिप वारेन एंडरसन, शेल्डन ग्लाशो, लॉरेंस क्राउस और कार्लो रोवेल्ली जैसे बड़े नाम शामिल है।
स्ट्रिंग थ्योरी की आलोचना के मुख्य कारण इस तरह है :-
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